अचानक
अचानक
जब अचानक तेरी याद आती है,
मैं उठ खड़ा हो जाता हूँ,
और जहाँ से तुम उठ के गई थी,
वहीं जा के बैठ जाता हूँ ।।
तेरी जगह खाली ना हो,
इसलिए खुद को मौजूद रखता हूँ,
और हमारी यादों को,
अपने साथ महफूज़ रखता हूँ ।।
जो हवाएँ, तुम्हें छू के गुज़री थीं,
उन में ही महदूद रहता हूँ,
और तुम्हें मेरी जान ,
अपने अंदर ही महसूस करता हूँ।।
अब जब मुझ में तुम रहती हो,
तो बड़ी हिफाज़त से खुद को रखता हूँ,
ऐसा, जैसा तुम सोच ना पाओगी,
वैसी इबादत से तुझ को रखता हूँ ।।
पर अस्ल में जब तुम दूर हो,
तो मन ऊब सा गया है,
चाहे जितना भी हँस लूँ,
दिल तुमसे रुठ सा गया है ।।
तेरे साथ जो अब रक़ीब चलता है,
कोई अंदाज़ा ही नहीं तुम्हें,
कितना मेरा दिल जलता हैं ।।
मंज़ूर करता हूँ,
जो भी मेरे प्यार का तूने सिला दिया है,
बस एक सवाल है,
क्या तूने मेरे साथ सही किया है ।।
सही किया है ?