रेखाएं
रेखाएं
चिंता की रेखाएं,
थकान की रेखाएं,
बुढ़ापे (असमय) की रेखाएं।
हाँ !
यह सब देखा है,
मैंने अपनी माँ के चेहरे पर।
मिटाना चाहती हूँ मैं,
इन रेखाओं को,
पर शयद यह मेरे,
वश में नहीं।
हाँ !
मैं कोशिश जरूर कर सकती हूँ
ताकि मिटा सकूँ मैं
इन रेखाओं को।
और इनके बदले,
प्रदीप्त हो सके,
सुख और संतुष्टि की रेखाएं।
और साथ ही ख़ुशी की,
आभा से माँ का चेहरा,
हो सके देदीप्यमान।