लगता है अब संवर जाएंगे
लगता है अब संवर जाएंगे
1 min
438
विडम्बना देखो प्रकृति की
आंधी में इस कोरोना की
थोड़े बिखर गए थे
लगता है अब संवर जाएंगे
रहते थे लोग लालायित
घूमने को दुनिया का हर कोना
घर के बाहर हम
लगता है अब किधर जाएंगे
इस भागम - भाग जिंदगी की
तेज बड़ी रफ्तार थी
अच्छा है
लगता है अब थोड़ा ठहर जाएंगे
घुली हवा में जो जहर
थी सामूहिक आत्महत्या की राह मगर
तरोताजा सा अपना
लगता है अब शहर पाएंगे
घना शोर था चारों ओर
अब खामोशी है हर ओर
अंतर्मन की आवाज हम
लगता है अब सुन पाएंगे
माना कि दौर है मायूसी का
पल ये भी कभी बिसर जाएंगे
थोड़े बिखर गए थे
लगता है अब संवर जाएंगे।