लगता है अब संवर जाएंगे
लगता है अब संवर जाएंगे
विडम्बना देखो प्रकृति की
आंधी में इस कोरोना की
थोड़े बिखर गए थे
लगता है अब संवर जाएंगे
रहते थे लोग लालायित
घूमने को दुनिया का हर कोना
घर के बाहर हम
लगता है अब किधर जाएंगे
इस भागम - भाग जिंदगी की
तेज बड़ी रफ्तार थी
अच्छा है
लगता है अब थोड़ा ठहर जाएंगे
घुली हवा में जो जहर
थी सामूहिक आत्महत्या की राह मगर
तरोताजा सा अपना
लगता है अब शहर पाएंगे
घना शोर था चारों ओर
अब खामोशी है हर ओर
अंतर्मन की आवाज हम
लगता है अब सुन पाएंगे
माना कि दौर है मायूसी का
पल ये भी कभी बिसर जाएंगे
थोड़े बिखर गए थे
लगता है अब संवर जाएंगे।
