जिंदगी जिए कुछ इस तरह
जिंदगी जिए कुछ इस तरह
कोई मुश्क़िल मंजिल न मिले, तो ग़म न करना,
वो रास्ते भी मंजिल है,
ज़ो इतने नामुराद है,
के जाने का रास्ता नहीं देते,
अंत क्या है, कैसा है, किसको पता,
हर दफा सितारे कोई,
रास्तों का पता नहीं देते,
चलते रहना, पाँव छिल जाये,
तो भी थमा नहीं करते,
कि मखमलों पर रहने वालों के नाम,
इतिहासों में लिखा नहीं करते,
किसी के जैसा बनोगे,
ये आरजू कितनी गलत है,
तुम्हारे खुद के जैसे भी तो,
इस जहान में हुआ नहीं करते,
कि जब तक मंजिल न मिले
खुद को तुम मजबूत रखना,
ये जो दुनिया वाले है न,
जहर उगलते हैं,
ये हौसलों को तोड़ने में,
ज़रा भी हया नहीं करते,
कि जितनी जिओ,
सर उठाकर जिओ,
जिंदा होने का यही तो सबूत है,
कि खैरात पर जीने वाले,
असल में जिया नहीं करते,
न मिले मंजिल-इ-जानिब तो क्या,
जीते वही है, जो लड़ते है शौर्य से,
वो लड़ाके जिंदगी से,
कभी कोई शिकवा नहीं करते ,
मंजिलों की फ़िक्र में,
आसान राहें चुना नहीं करते।।
