मोहब्बत क्या कहें
मोहब्बत क्या कहें
प्यार हो भी तो क्या मिलना ज़रुरी है ?
तन्हा रहे कोई तो क्या वो ज़िन्दा नहीं रहता ?
वजह और भी बहुत सी हैं, राहें जिंदगी में..
हर वक़्त रात नहीं रहती,
हर वक़्त सवेरा भी नहीं रहता।।
चलते रहे हर वक़्त, हमे जरा रुकना
भी ज़रुरी है..
मिज़ाज़ गर्दिशों का हर वक़्त एक सा
नहीं रहता ।।
जिंदगी कभी तो तन्हा भी कटती हैं,
हर वक़्त महफिलों का, पहरा नहीं रहता।।"
