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Meenakshi Shukla

Inspirational

5.0  

Meenakshi Shukla

Inspirational

अभी जान बाकी है

अभी जान बाकी है

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वार किये असंख्य

घाव पड़े गंभीर

विपत्ति की है घड़ी

मन भी है भयभीत


लहूलुहान अंतर्मन

से रिस रहा स्वाभिमान है

बुद्धि की सीमा में

दम तोड़ता ज्ञान है

रोशनी है घुप्प सी

अंधेरे का गुणगान है

अश्रु पूरित नयन

देख कर ये दृश्य हैरान है


टूट चुका है हौसला

किस्मत से आज लड़ रही हूँ

रेंग कर ही सही

मैं आगे बढ़ रही हूँ

बस एक और कदम है बाकी

हारी हुई जंग लड़ कर

ऐसे मन को ठग रही हूँ

योद्धा सी लग रही हूँ


एक बूंद में मैं सागर खोज लूंगी

वक़्त से मेहनत का सूद रोज़ लूंगी

आंधियों में चल पड़ी हूँ आंखे मीचे

क्योंकि अभी अभिमान बाकी है

तूफानों से जाकर कह दो,

अभी जान बाकी है...


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