मर-मिटने वाले ख्वाब
मर-मिटने वाले ख्वाब
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वो ख्वाब ही क्यों, जिन्में मरमिटने वाली ज़िद न हो !
वो ख्वाब ही क्यों, जिनमे मुश्किलों का डर हो !
वो ख्वाब ही क्यों, जिनमें लक्ष्य को पाने कि चाह न हो !
वो ख्वाब ही क्यों, जिनपे दिल लगाने कि काबिलयत न हो !
वो ख्वाब ही क्यों, जिनमे दुनिया हिलाने कि बात न हो !
वो ख्वाब ही क्यों, जिनमे हमारि ताकत का आभास न हो !
वो ख्वाब ही क्यों, जिनमे जीतने कि आग न हो !
वो ख्वाब ही क्यों, जिनमे आसमान छूने कि ख्वाहिश न हो !
कुच ख़्वाबों को पाने के लिए लोग मर-मिट जाते हैं !
और कुच लोग मरकर भी,अपने ख़्वाबों को अमर कर जाते हैं !
दुनिया में बड़ी -से -बड़ी जीत भी ,एक छोटे से ख्वाब से हि शुरु होती हैं !
इसीलिए... ख्वाब हो तो, "मर -मिटने वाले !"