तू कहां चली?
तू कहां चली?
श्यामल सूरत है तेरी,
तिरछी नज़र मुझे मारी,
घायल करके तू कहां चली?...
अँखियों में काजल, लगाया है तूने,
पलकें नचाती है तू, मुझ को ललचाने।
नाच नचाकर मुझ को,
भान भूला कर मुझ को,
बावरा बना के तू कहां चली?...
अधर लगते है तेरे, जाम की प्याली,
तेरी सूरत मुझे को, लगती है प्यारी।
हाथों में कंगन खनके,
पायल छूम छननन छनके,
दीवाना बना के तू कहां चली?...
ख्वाबों में आकर तू, मुझ को सतावे,
रातों की मेरी तू, निंदीयां उड़ावे।
दिल में तस्वीर है तेरी,
तू है मल्लिका मेरी,
"मुरली" को छोड़कर तू कहां चली?

