STORYMIRROR

Dhanjibhai gadhiya "murali"

Drama Romance

3  

Dhanjibhai gadhiya "murali"

Drama Romance

तू कहां चली?

तू कहां चली?

1 min
188

श्यामल सूरत है तेरी,

तिरछी नज़र मुझे मारी,

घायल करके तू कहां चली?... 

अँखियों में काजल, लगाया है तूने,

पलकें नचाती है तू, मुझ को ललचाने।

नाच नचाकर मुझ को,

भान भूला कर मुझ को,

बावरा बना के तू कहां चली?...

अधर लगते है तेरे, जाम की प्याली,

तेरी सूरत मुझे को, लगती है प्यारी।

हाथों में कंगन खनके,

पायल छूम छननन छनके,

दीवाना बना के तू कहां चली?...

ख्वाबों में आकर तू, मुझ को सतावे,

रातों की मेरी तू, निंदीयां उड़ावे।

दिल में तस्वीर है तेरी,

तू है मल्लिका मेरी,

"मुरली" को छोड़कर तू कहां चली?



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama