तू है महोब्बत का नूर
तू है महोब्बत का नूर
रात को,
हजारों तारे,
बीच में बेहद हसीन,
अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध,
हर कोई उसका आशिक,
उसको देखने को तरसता,
आहें भरता,
कवियों की प्रेरणा,
हर खूबसूरत नारी,
करती उससे इर्श्या,
लेकिन वो मस्ती से,
आकाश में झूमता,
शायद वही चांद है।
अगर वो एक दिन,
न आए नजर,
दिल की धड़कन रूक जाती,
सारी कायनात,
हाय हाय करती,
सारे तारे भी कोशिश में रहते,
काश ! थोड़ी मेहरबानी,
हम पे भी कर दे।
