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Chandramohan Kisku

Fantasy

3  

Chandramohan Kisku

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नव आशा की धरती

नव आशा की धरती

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निराशा की आसमान में 

एक दिन उदय होंगे ही सूर्य 

फूटी छज्जावाली घर से ही 

दिखती है चन्द्रमाँ 

परती और पथरीली जमीन भी 

सबदिन एक जैसे नहीं रहेंगे 

शांति की खेती होगी ही 

एक न एक दिन 

आनंद की फूल खिलेंगे 

एक दिन अति सुन्दर .

सहारा की कोख भी 

सबदिन खाली नहीं रहेंगे 

वहाँ हरे घास उगेंगे  

ठण्डी झरने फूटेंगे  

धान के पौधे के जैसी संताने 

सर हिलाकर नाचेंगे एकदिन .

पुरखों की बातें 

झूठ नहीं होते कभी 

निराशा की घने से 

उगेंगे ही 

नव किरण के साथ 

नव आशा की सूर्यदेव.

नव आशा की धरती 

हरे होंगे ,एक न एक दिन .



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