STORYMIRROR

Prerna Karn

Abstract

3  

Prerna Karn

Abstract

होली

होली

1 min
272

होली रंगों का ही नहीं है खेल,

यह तो है दिलों का मेल,

साल भर सभी रहते काम में व्यस्त,

होली के दिन रहते मस्त।


दूर-दूर के रिश्तेदार,

इस दिन होता मेल-मिलाप,

गुझिया, दही बड़े, मीठे पकवान,

हर्षोल्लास से भरा जहाँ।


रंगों से सराबोर यह त्योहार,

हटाता सबका मनोविकार,

गीत-संगीत, गुलालों से,

अभिवादन होता प्यार-दुलारों से।


होली का यह त्योहार,

गोकुल, मथुरा विश्व प्रसिद्ध है,

जहाँ ईश्वर ने भी लिया अवतार,

रचाया रंगों का इतिहास।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract