सुशांत सिंह राजपूत
सुशांत सिंह राजपूत
साहस इतना कैसे कर लिया,
खुद को कैद जमाने से कर लिया,
थोड़ी देर सुकून से जिया नहीं,
सदा के लिए सबको अलविदा कह दिया!
काम तुम्हारा क्या खूब था,
हर किसी के दिल का नूर था,
वजूद में तुम्हारे भरा बहुत दम था,
फिर क्यों ऐसे हार गए !
तुम तो तुम थे,
तुम जैसा कोई और नहीं,
ऐसी क्या वजह बन गई,
दुनियां तुम यूँ छोड़ गये !
थे तुम हर वक्त रेस का घोड़ा,
दौड़ता हुआ सबको पीछे छोड़ा,
जल्दी थी तुममें लक्ष्य पाने की,
इतनी भी क्या होड़ मची थी,
जीवन ही अपना छोड़ गये !
ईश्वर से अब यही प्रार्थना करते,
तुम हर पल माँ को याद थे करते,
उनके लाड-प्यार को तरसते,
तुम्हें तुम्हारी माँ मिल जाए,
उनकी गोद में सिर रखकर,
हर खुशी और शांति मिल जाए ।