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Prerna Karn

Inspirational

3.8  

Prerna Karn

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आचार्य महाप्रज्ञ

आचार्य महाप्रज्ञ

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वो नन्हा-सा बालक, 

जिसने दस वर्ष की आयु में, 

सारा अरमान छोड़ दिया, 

जिन्दगी की माया मोह को,

स्वयं सहज रूप से भंग किया ।


बालू जी और तोलाराम,

माता-पिता की वो थे संतान, 

नथमल था उनके बचपन का नाम,

दस वर्ष की अवस्था में, 

जीवन को दिया नया आयाम ।


मुनि नथमल के रूप में, 

आध्यात्मिक मार्ग पर चल पड़े, 

तुलसी जी के गुरूत्व छाँव में, 

बढ़ती अंत:प्रज्ञा और आत्मज्ञान से, 

गुरू द्वारा 'महाप्रज्ञ' नाम से अलंकृत हुए।


अपनी विलक्षण बुद्धि के कारण, 

आचार्य पद पर आसीन हुए, 

थे आध्यात्म और विज्ञान के ज्ञाता,

जैन धर्म के श्वेतांब

र तेरापंथ के,

दसवें संत कहलाए वो ।


दिनकर जी ने कहा 'आधुनिक विवेकानंद', 

नीदरलैण्ड यूनिवर्सिटी ने, 

'डिलीट' उपाधि से सम्मानित किया, 

मंत्र साधना से प्राप्त कीं 'अद्वितीय शक्तियां', 

जिन्हें जन-कल्याण में सदा उपयोग किया ।


जैन धर्म के प्रवर्तक वो थे, 

जैनी ग्रंथ रंगा सूत्र को वह, 

धाराप्रवाह संस्कृत काव्य में, 

श्लोक बनाकर अद्भुत कला से, 

प्रस्तुत करनेवाले कवि थे ।


बौद्ध, वैदिक ग्रंथ के थे वह ज्ञाता,

अटल जी उन्हें कहते थे 'पुरोधा', 

सारा जग उन्हें 'विश्वकोष' था कहता, 

वाणी ऐसी सुभाषित उनकी, 

हर शब्द उनका साहित्य बन जाता ।


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