बेटियों को चहकने दो
बेटियों को चहकने दो


बेटियाँ तो हैं घर की लक्ष्मी,
इन्हें खूब चहकने दो,
आँगन की हैं यह ढेर सारी खुशियाँ,
अपने कदमों पर इन्हें थिरकने दो।
हम दें इन्हें साहस, शौर्य की शिक्षा,
पराक्रम से भरे सत्य मार्ग की शिक्षा,
संस्कार और धैर्य की शिक्षा,
गर कोई जो ललकारे इन्हें,
दुस्साहस कर गर सताए इन्हें,
हिम्मत से डटी रहे,
बुरी नजरों से बचना सीखे,
सबको हरा सदा आगे बढ़ती रहे,
आत्मविश्वास से भरी हुई,
भरें उड़ान कुछ ऐसी,
बेटीयाँ उन्मुक्त गगन में उड़ना सीखे।
मुख का तेज और प्रबल हो,
हँसी देवियों-सी,
मनमोह
क मुस्कान लिए,
जग में अपना नाम करे।
गर जो कोई गलती हो जाए,
उससे सीख लेना ये सीखें,
पग-पग संभलकर अदा से वो चलना सीखे,
बेटीयाँ उन्मुक्त गगन में उड़ना सीखे।
कर्तव्य हमारा इन्हें दिशा दिखाना,
इससे न कोई विमुख हो,
समाज समृद्ध भी होता वही है,
जहाँ बेटियों का सम्मान हो,
घर का मान तभी बढ़ता है,
जब बेटी खुशहाल हो।
नन्ही-नन्ही फूलों की क्यारियाँ,
बगिया में बदलने दो,
बेटियाँ तो हैं घर की लक्ष्मी,
इन्हें खूब चहकने दो,
आँगन की हैं यह ढेर सारी खुशियाँ,
अपने कदमों पर इन्हें थिरकने दो।