माटी की मूरत नहीं, ममता की जरूरत हूं मैं घबराती नहीं, बस यूंही चुप रह जाती हूं मैं। माटी की मूरत नहीं, ममता की जरूरत हूं मैं घबराती नहीं, बस यूंही चुप रह जाती हू...
जिस प्रकार आज पुरुष स्वतंत्रता से घूम रहा है उसी प्रकार हर स्त्री को घूमने की आज़ादी हो जिस प्रकार आज पुरुष स्वतंत्रता से घूम रहा है उसी प्रकार हर स्त्री को घूमने की...
आँगन की हैं यह ढेर सारी खुशियाँ, अपने कदमों पर इन्हें थिरकने दो। आँगन की हैं यह ढेर सारी खुशियाँ, अपने कदमों पर इन्हें थिरकने दो।
ना आना लाड़ो तू इस दुनिया में मत आना! ना आना लाड़ो तू इस दुनिया में मत आना!