बलात्कार
बलात्कार
आज फिर इंसानियत हारी है
अब हमारे देश की इज़्ज़त जा रही है,
कानून के नेत्रों पर भी पट्टी बंधी है
इन दरिंदे-हवस पुजारियों को सज़ा भी न दी जा रही है,
अब कितनी और लड़कियों को
अपनी क़ुरबानी देनी होगी ?
क्या देश स्वच्छ रखने के लिए
अब लड़कियों को अपनी जान गँवानी होगी ?
ये न्याय प्रशासन न जाने कब ऐसा सुधार लाएगा ?
की हर अपराधी दुष्कर्म करने से पहले ही दहल जाएगा,
अरे इंसानों ने अपनी जान गँवाकर
स्त्रियों की लाज बचाई है,
पर आज जब तक बात
अपने घर की स्त्रियों पर ना आ जाये,
तब तक किसी को भी ठोस कदम उठाने की
ज़रूरत ही महसूस नहीं होती है,
अब इस से पहले की ऐसी कोई दुःखद खबर
फिर से मिले उसके पहले,
अपने न्यायों को और भी
कठोर तथा मज़बूत कीजिये,
जितना ज़ोर आपने
यातायात साधनों के सुधार के लिए
चालान बढ़ाने पर दिया है न,
उससे से ज़्यादा ध्यान
आप अपनी सज़ाओं पर दीजिये,
ताकि भविष्य में ऐसी कोई घटना ही ना हो
किसी भी स्त्री को किसी पुरुष से भय न हो,
जिस प्रकार आज पुरुष स्वतंत्रता से घूम रहा है
उसी प्रकार हर स्त्री को घूमने की आज़ादी हो।
