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Manoj Kumar

Tragedy

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Manoj Kumar

Tragedy

जिसे कभी अपना समझा था!

जिसे कभी अपना समझा था!

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वो हो न सके,

कभी भी..


जिसकी जरूरत थी

हर कदम पर


होश में वो न रहें

मुझे छोड़कर


कितनी तसल्ली दें,

दिल को..

कितनी बातें,

बयां कर दें यूँ ही


जो खायी ..

दिल पे ठोकर


अब वो मंज़र भी सूखा

और है आँखों में नमी..


किस किस को बताऊँ

और किसको समझाऊँ

 ये आज की नहीं है

ये कल की नहीं है

है बरसों की,

ये जुबां...


जिसने कभी अपना कहा

अब वो न रहा..


हर चीज़ पे दस्तके देते रहें

वो हँसते रहे

हम रोते रहे

वो सुनते रहे

हम आँसू बहाते रहे!


जो दिया उसे

उसे याद नहीं..


दर्द दिया मुझे

ये कोई फरियाद नहीं..!!




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