सुकूं के पल दो पल।
सुकूं के पल दो पल।
चल जिंदगी तू ले चल वहाँ संग अपने भी मुझे।
सुकूं के पल दो पल हमेशा जहाँ हमे भी मिले।।
हो ऊँचे पर्वतों पे दूर कहीं अपना भी आशियाँ।
शबनम की बूंदे चमके जहाँ आसमान के तले।।
चल जिंदगी तू ले चल वहाँ ...
गम को पता ना मिलें उस शहर का कभी भी।
मोहब्बतों से सबके ही दिल हो जहाँ पर भरे।।
हो ख़ुलूशों से भरी अपनी जिन्दगी फिर वहाँ।
उम्र-ए-इश्क़ दीवानगी की हर शू जहाँ पर बढ़े।।
चल जिंदगी तू ले चल वहाँ ...
चल कर दिखा कुछ ख्वाब नजरोँ को मेरे भी।
आशिकों की रूह बस रूह से जहां पर मिले।।
वह तो शुक्र है खुदा का जो माँ सबको ही दी।
ना हो मुझको खुदा से फिर जहाँ शिक़वे गिले।।
चल जिंदगी तू ले चल वहाँ संग अपने भी मुझे।
सुकूं के पल दो पल हमेशा जहाँ हमे भी मिले।।

