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Pramesh Deep

Abstract Romance Tragedy

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Pramesh Deep

Abstract Romance Tragedy

दिल ख्यालों में कहाँ खो गया

दिल ख्यालों में कहाँ खो गया

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बाद बरसों आज उनसे मिलना हो गया 

ये दिल ख्यालो में न जाने कहाँ खो गया 


उनसे मिल कर मुझे आज यु लगा

मिलना जुलना भी बन गई हो सजा

मुलाकाते ज्यादा सम्भव नहीं है मगर,

दीदार से उनके दिल पावन हो गया

ये दिल ख्यालो में न जाने कहाँ खो गया


यादों के झरोखे भी खुलने लगे

आँखों से आंखे भी मिलने लगे

प्रेम की ओस आँखों से झरते मगर,

पतझड़ मे भी मन जैसे सावन हो गया

ये दिल ख्यालों में न जाने कहाँ खो गया


आँखों आँखों मे हमने कुछ बात की

दिल ने दिल से फिर मुलाकात की

लब से लब चाहते थे कुछ कहना मगर,

पल दो पल मे ही दोपहर हो गया

ये दिल ख्यालों में न जाने कहाँ खो गया


पूछ भी ना सके हाल उनका 

फ़िक्र रहती थी सदा जिनका 

जान लेते हाल हम उनका मगर,

बेख्याली में खुद ही खुद खो गया 

ये दिल ख्यालों में न जाने कहाँ खो गया


जब वो जाने लगी मेरे दर से

सिहर उठा मन फिर वही डर से 

बिदाई मे हाथ हिला देते मगर,

कर ने कर को जाने क्यू जकड़ गया 

ये दिल ख्यालों में न जाने कहाँ खो गया।


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