दीपक तू कितना अच्छा
दीपक तू कितना अच्छा
दीपक तू कितना अच्छा
तू कितना कर्तव्य का सच्चा
सबको कर्त्तव्य का पाठ पढ़ाता है
सीख नहीं देता प्रत्यक्ष कर दिखलाता II2
दीपक......................... सच्चा
अंधकार हो जँहा मे तू ही उसे मिटाता है
जँहा को रोशन कर,कर्तव्य बोध कराता है
दीपक सम हैं गुरुदेव हमारे,जो शिक्षक कहलाता है
विद्या के इस प्रांगण मे,ज्ञान सरिता नित्य बहाता है
दीपक......................... सच्चा
गुरुवर से तुम सीख ले लो
विद्या का तुम भीख ले लो
यही विद्या सर्वत्र काम आता है
जीवन के हर मोड़ पर हमें सफल बनाता है
दीपक......................... सच्चा
उन चरणों मे प्रमेशदीप का आज शत -शत नमन है
प्रयास से जिसके विद्यालय का महकता सदा चमन है
शिक्षक दिवस के अवसर लेखनी करती उन्हें प्रणाम
जिनके आशीष से पत्थर भी,प्रभु का रूप पाता है
दीपक......................... सच्चा
