अहसास
अहसास
चेहरे पर उग आयी झुर्रियां
दिल कहता है अब बस !
बहुत जान लिया ज़माने को
बस नहीं जान पाया तो,
सिर्फ अपने मन की बात
काश ! सुनी होती दिल की
अब दिमाग भी नहीं साथ
बचपन में सुनी अपनों की,
तो जवानी बीती परायों में
अब न अपने साथ, न पराये
चेहरे पर उग आयी झुर्रियां
दिल कहता है अब बस !
चार पैसे कमाने को धुन में
जिंदगी व्यस्त क्या हुई
अब अकेलेपन के दंश में
डॉक्टर ने थमा दी चार गोली
धीरे-धीरे बदल रहा मुखौटा
क्योंकि उग आयी झुर्रियां
दिल कहता है अब बस !