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Noob Poet

Others

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प्यारी बेटी

प्यारी बेटी

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अभी जैसी भी

ज़ुल्फें सँवारनी हैं सँवार लो बेटी,

अभी किसी शादी के बंधन में तुम्हे

मैं बाँधना नही चाहता,

किसी और के घर जाता

मैं तुम्हे देखना नही चाहता,


भली भांति अवगत हूँ मैं इस कटु सत्य से

एक दिन चली जाओगी तुम मुझे छोड़कर,

पर उस से पहले मैं तुमसे

तुम्हारी ख़ुशियाँ छीनना नही चाहता,


जा उड़ जा इस खुले जहां में

किसी आज़ाद पंछी की तरह,

बस ध्यान रखियो अपना

हर हालात में, पूरी क़ायनात में,

तुमने जो इतना आदर सम्मान दिया मुझे

मैं तुम्हारा आभारी हूँ,

अब मेरा फ़र्ज़ बनता है कि तुम्हे मैं

अपनी ज़िंदगी खुलकर जीने दूँ,


तुम्हे हर वो वस्तु दिलाऊं जो तुम्हे चाहिए

तुम्हारी हर मनोकामना पूर्ण होनी चाहिए,

जा खिलखिला ले तू जाकर अपनी सहेलियों में

गुनगुनाले जाकर तू अपने भाइयों में,

तेरे चेहरे पर हर क्षण मैं

अब मुस्कान देखना चाहता हुँ,

मैं तो बस तेरी शादी से पहले

तुझे जी भर कर देखना चाहता हूँ।


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