माँ
माँ
लिखूँ एक शब्द
या लिखूँ एक उपनिषद,
दिल के उच्च कोटि के पद पर
सजा कर बिठाया है तुझे,
सदा मुस्कुराती रहे तू
तेरी हर ख़्वाहिश मैं पूरी करूँ,
तेरे चरणों में पड़ा रहकर
अपना मान बढ़ाता रहूँ,
तेरा धन्यवाद करना
शब्दों में भी मुमकिन नहीं,
पर तुझे खास होने का एहसास
हर क्षण करवाता रहूँ,
तुझ पर कुछ लिखने से पहले
मेरी कलम रुक जाती है,
चलने से पहले वो खुद
कुछ खुशी के आँसू बहाती है,
तेरी लीला जग से न्यारी है
तू मुझे इसका प्रमाण दे जाती है,
हर वक़्त मेरे दिल में
सिर्फ तू ही तू समाती है,
तुझ पर लिखना सम्भव नहीं
फिर भी कोशिश जारी है,
इतनी गहराई में जाने की
मुझमे हिम्मत नही आती है,
ओ मेरी प्यारी माँ
तेरा विस्तार करना
शब्दों में सम्भव नहीं,
लिखूँ एक शब्द
या लिखूँ एक उपनिषद,
मुझे “माँ” से अधिक बड़ा
मिला ही ना कोई शब्द।
