STORYMIRROR

Abhishek Singh

Drama

3  

Abhishek Singh

Drama

बरसाना !

बरसाना !

1 min
234

बरसाना मेरे ख़्वाबों की नगरी।

जो श्री राधा-कृष्ण की नगरी।

जहाँ जाने की कई सालों की,

मेरी जिद्द ये न उतरी।


जहाँ के कण-कण में वो बसते हैं

रास गोपियों संग जहाँ वो रचते हैं।

वही तो है मेरी चाहत की नगरी

जहाँ की वादियों में वो हँसते हैं।


जहाँ की मिट्टी में प्रेम ही प्रेम है

वही तो मेरे ख़्वाबों से,हक़ीक़त की देन हैं।

जिनका धर्म प्रेम है कर्म प्रेम है

जीवन जिनका परिशुद्ध प्रेम है।


इस प्रेम ने जगाया प्रेम मुझमें

प्रेम करके प्रेम पाने को।

इस प्रकार जगी मन में,

प्रेम नगर के भ्रमण पे जाने को।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama