स्त्री
स्त्री
कोमल , शीतल, शांत , चंचल
रूप रंग मादकता अधिकाय,
काले केश, लगे काली घटा
तन ऐसा गोरा, बर्फ़ भी शर्मा जाए।।
चाँद की छटा जब पड़े इसके उपर
चाँदनी की भांति रूप दमक जाएं,
ऐसी मनमोहनी सुंदर बाला
कमलनयन कहलाए,,,,,
जब लब खोले पंखुड़ी भांति,
भिनी सी महक , वातावरण में मिश्री घोले,
चले ऐसे , हिरणी भी शर्मा जाए
नृत्य करे ऐसे ,मोर भी एक टक देखता रह जाए।।
अदभुत सौंदर्य की मल्लिका
सर्व गुण संपन्न, नायाब करिष्मा,
नाज़ुक ऐसी ,खड़ा" कपास" भी गम खाएं,
बाहरी संरचना ऐसी सुडौल,
चट्टानों की भांति ठोस नजर आए।।
दिल ऐसा नाजुक , जैसे मोम पिघला जाए
छुओ जब इसे , छुई मुई सी नजर आए
जिस घर आंगन में ये पूजी जाए
उस घर में कभी भी आर्थिक संकट न आए।।
धरती पे ही स्वर्ग समा जाएं।।