चाहतों की भंवर
चाहतों की भंवर
हसीन वादियों के बीच वो शामें
गुजारिशों की होंगी
महबूब के बाँहों में आराम फरमा
रहे होंगे वो रातें बारिशो की होंगी
सिरहाने बैठ तेरे हुस्न की तारीफ़
कर रहे होंगे वो ज़ाम आख़री होगी
तुझे अपना सा महसूस कर रहे होंगे
वो बातें अपनों की हो रही होंगी
समंदर के भंवर में हर रोज़ नौका धार रहे होंगे
कि किनारा पहुँचने की प्रयास जारी होंगी।
