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मोहब्बत-ए-जंग

मोहब्बत-ए-जंग

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अगर दास्तान-ए-मोहब्बत में

तुझसे इख़्तिलाफ़,

होना लिखा है...


तो मुक्कदर से जंग,

लड़ तुझे छीन लाएंगे।


मशक्कत-ए-करते,

अगर जान निकल गई तो...

आख़िरी साँस भी,

तेरे नाम कर जायेंगे।


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