मौत की पटरी
मौत की पटरी
मीलों चल कर, थक कर आँख लगी होगी ,
दो करवट बदली होगी और साँस चली
गयी होगी |
दो वक़्त का खाना, चंद रूपए और
मुट्ठी भर हौसला लेकर ज़िन्दगी पटरी पे
चली होगी |
बेवक़्त आयी मौत ने सब बिखेर दी होगी |
टूटा होगा सपना, बुझी होगी कोई चिराग,
पर किसे परवाह इस बात की
न्यूज़ चैनल्स पे तो बस बहस ही चली होगी |
