STORYMIRROR

Atul Vishal

Inspirational

4  

Atul Vishal

Inspirational

एक आस..

एक आस..

1 min
579

मशक्कतों पे आहे भरती मेरी कोशिशें

मानो आँखों से ओझल होती फ़ुरसत्ते। 

अनचाही अंधकार के गिरफ्त में, 

 चेतनाए मानो अवपथन हो गयी हो, 

आकांछाओ पे ग्रहण लग गयी हो। 


एक मदद की गुहार है,

उनसे जिनपे रह गया मेरा उधार है। 

 मुश्किलात में जो बढे हाथ

दिखते नहीं कुछ खास है। 

अब किस पर भरोसा करूँ

या ना करूँ ये उलझन नागवार है।


अब कोई भी तो नहीं साथ में ,

फिर किस बात का इंतज़ार है ?

किस चीज़ की गुंजाइश है ?

अंतरमन से आती आवाज़, 

एक ज़ोर लगाने की आज़माइश है।

 

किसी के साथ ना होने का अब बैर नहीं , 

खुद का खुद के साथ

होने का होता एहसास है। 

सांसों की रफ़्तार से होती 

ऊर्जा का प्रवाह है,

परिस्थितियाँ अनुकूल होगी

इस पर जागता विश्वास है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational