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Ankit Tiwari

Abstract

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Ankit Tiwari

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जिंदगी

जिंदगी

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आख़िरकार थक कर जिन्दगी मुझसे बोल ही पड़ी!!

यूँ कब तक खुद से भागते रहोगे, जरा सा ठहरो,

ठंडा-वंडा पानी पी!!


जरा झांक कर तो देखो अपने अतीत में,

जरा नजरें तो मिलाओ पुरानी प्रीत से!!


जब देखा पीछे मुड़ कर वाकई कुछ सुहानी यादे खड़ी थी!!

आँखों में बसी कोई मूरत बाहें फैलाए सामने खड़ी थी!!


कही पर ज्येष्ठ के माह में भी बर्फवारी हो रही थी!!

कही पर रातों को भी सूरज की किरने नहला रही थी!!


आरज़ू रहती थी दिल में कि, आग में भी ठंडक हो!!

रेगिस्तान में भी कमल की बरकत ही बरकत हो!!


आसमान में खिली तारो की हर एक लड़ी,

हाथों में उनकी किस्मत की हरकत ही हरकत हो!!


कभी चाँद को देख कर मन का रोम-रोम खिल जाता था!!

आज ज़िन्दगी सर्कस है फिर भी हंसना नहीं आ रहा था!!


कभी अपने गमों से, कभी दूसरों की खुशी से,

आँखों से अश्रुओं की लड़ी बह रही थी!!!


आज मेरी अपनी किस्मत मेरी ही,

बेबसी पर हँस रही थी!!

अब लगता है की ये तो सिर्फ एक सपना है!!


एक सपने को सच मान बैठे,

शायद कसूर सिर्फ और सिर्फ अपना है!!


पर नव वर्ष में इन सबको नहीं दोहराना है!!

पर नव वर्ष में इन सबको नहीं दोहराना है!!


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