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Ankit Tiwari

Others

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Ankit Tiwari

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शिक्षा

शिक्षा

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हम सबकी तरफ से हर-एक अध्यापक-गुरुजन को सादर नमन

 

है पावन दिवस आज, करते है हम उनको प्रणाम,

जो ज्ञान की लौ जला कर मन अलौकिक करते रहते।

जन्म दिया माँ–बाप ने और राह दिखलाई है सबने,

सबके आशीर्वाद से ही हम है आगे बढ़ते रहते॥ 


जिन्दा रहने का असल अंदाज सिखलाया इन्होने।

ज़िन्दगी है ज़िन्दगी के बाद बतलाया इन्होने।।


खुद तो तप की अग्नि में जल कर है बनते रहते कोयला,

पर जहाँ को कोहिनूर मिला सदा इनकी खानों से।।


हमने तो माँगा था फल पर दी सदा इन्होंने ‘गुठली’,

अपमान सा हमको लगा पर हो अंकुरित ‘कल्प’ निकली।

उसी वृक्ष की छाॅंव में हम नित्य बनाते बसेरे,

पर उसे ही भूल जाते जो जड़ो में है समेटे॥


जन्म दिया माँ बाप…

है पावन दिवस...

 

आज जब देखा खुद को ज्ञान की गलियों में “अंकित”

विचित्र सी तबीयत खिली पर ख्वाब दिल में पनपे शंकित।

शिक्षा जो पानी की भांति होनी थी सब के लिए पर,

आवश्यक तत्व होने पर भी प्रतिरूप पानी बनाना काल्पनिक॥


शिक्षा बनी व्यापार केंद्र, इसे बेचने सब आपाधाप निकले।

औरो से क्या अरमां रखे जब सरकारी सब के बाप निकले।

आस है, विश्वास है, अब आकुल सुंदर-सौरभित सुरभि पर,

तम में ज्ञान-दीप जला कर कमनीय-कीर्ति गौरव गिरिवर निकले॥

जन्म दिया माँ बाप…


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