इतना आसान
इतना आसान
इतना आसान हूँ मैं कि हर किसी को समझ में आ जाता हूँ,,
शायद तुमने ही मुझे पन्ने छोड़-छोड़ कर पढ़ा था,
इसलिए हक है तुझे,, तू भी तो मुझसे दूर हो सकता है
मेरा भी मन तो तेरी खातिर दुनिया को भुला बैठा था।
मगर इतना गुमान जरूर है मुझे अपने वजूद पर कि
तू मुझसे दूर ही जा सकता है मगर भुला नहीं सकता,
न तो मैं अनपढ़ रहा, और ना ही काबिल रह पाया
ऐ इश्क,, खाम-खा तेरे स्कूल में मेरा हुआ दाखिला था।
मगर एक छोटा सा वादा,, मेरी इस उम्र से ज्यादा,,
तुझसे करता हूँ मैं सनम,,
जब तक टूट कर बिखर ना जाए तू भी किसी के इश्क से,
तब तक मैं भी टुकडो में जिंदा रहूँगा तेरे खुद के रश्क में।
फिर निःसंकोच तुम मेरे पास आना,, और फिर चाहे
तू रुक जाना मुझमें या मैं ठहर जाऊंगा तुझमें,
शायद तभी हम एक – दूसरे को,
खुद से भी बेहतर समझ पायेंगे।