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Prateek choraria

Fantasy

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Prateek choraria

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काश

काश

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काश! एक दरिया आसमान से जो मिलता

मैं उड़ता परिदों सा पर फैला कर,

छूकर ये तारे गगन चूम आता

काश! एक दरिया आसमान से जो मिलता।


टूटता जो तारा हाथ में पकड़कर

मांग लेता वो सब, जो नसीब में भी ना था,

बदलता लकीरें इन हाथों की मैं

काश! एक दरिया आसमान से जो मिलता।


ध्रुव सी चमक लिए हवाओं से लड़ता

मछलियों संग बहता मैं भी इस गगन में,

सपनों की उड़ान ऊंची ना होती

काश! एक दरिया आसमान से जो मिलता।


छोटा सा आसमां होता छोटा सा ये जहां

झूला होता चांद पर तो मैं झूल आता,

नाव की पतवार से बादल छांटता मैं

काश! एक दरिया आसमान से जो मिलता।


रातों को तारों सा मैं टिमटिमाता

मैं तारों की गिनती भी पूरी कर आता,

बताता सभी को क्या क्या है नभ में

काश! एक दरिया आसमान से जो मिलता।


खड़ा हो किनारे यूं लहरों को छू कर

गोता लगाता मैं इन गहराइयों में,

सीपियां ढूंढ कर तारों को मैं सजाता

काश! एक दरिया आसमान से जो मिलता।


सूरज की गर्मी में बारिश की बूंदें

खोल आता मैं नल सभी बादलों के,

रंगों से रंगता दो इन्द्रधनुष को

काश! एक दरिया आसमान से जो मिलता।



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