मां
मां
याद है तेरा थपकी देकर मुझे सुलाना,
'उठ जा जल्दी कितना सोएगा' ये फटकार लगाना,
इतनी ठंड है गरम कपड़े पहन के जा,
रात को दही नहीं खाते खाना गरम खा,
सांझ ढले खुद की गोद में कंबल ओढ़ कर बिठाना,
बालों में तेल लगा मेरे दुखते पैरों को दबाना
कहीं भी जाऊं तो गली के मोड़ तक निहारना,
पीछे मुड़ कर देखूं तो तेरा वो मुस्कुराना
सब याद है मां, तेरी हर एक बात का अहसास है मां,
सब कुछ है पास मेरे बस देखने को तेरा चेहरा नहीं जो ख़ास है मां।
क्यों परेशान करता है मुझे?
क्यों अब समझता नहीं?
इस बुढ़िया को अब तो तंग मत कर?
कहते जब सुना तुझे ये बातें तो अहसास हुआ,
रुलाया है बहुत बार तेरी आंखों को मां, पर प्यार है
पास तू नहीं पर पास तेरी हर बात में दुलार है।
सोचता हूं कि कौन मेरे ऊटपटांग कपड़ों को अच्छा कहेगा?
कौन अब बालों में हाथ फेर मुझे मेरा प्यारा बच्चा कहेगा?
लोरियों के शब्दों को कौन सुनाएगा हर बार,
काज़ल के टीके कौन मुझे लगाएगा चार,
सब याद है मां, तेरी हर एक डांट का अहसास है मां,
सब कुछ है पास मेरे ,बस देखने को कान खींचना नहीं जो ख़ास है मां।
रुक पापा से डांट लगवाऊंगी,
पापा की छड़ी से मार खिलवाऊंगी
बहुत शैतान हो गया है आजकल, रुक आज मैं तुझे सुधरवाऊंगी,
कहकर जब खुद ही बचाती थी पापा की मार से,
रोती थी छुप कर जब कहता था मुझे जाना है दूर इस घरबार से।
आज़ादी के लिए लड़ा तुझसे मैं पूरी ज़िन्दगी,
आज आज़ाद हूं पर क्यों वो सुकून नहीं है,
भूल जाता हूं कि अकेला हूं मैं यहां, क्योकिं यहां मेरी मां नहीं है।
सब याद है मां, तेरी हर एक नसीहत का अहसास है मां,
सब कुछ है पास मेरे बस देखने को तेरा प्यार नहीं जो ख़ास है मां।