काश! एक दरिया आसमान से जो मिलता मैं उड़ता परिदों सा पर फैला कर, छूकर ये तारे गगन चूम काश! एक दरिया आसमान से जो मिलता मैं उड़ता परिदों सा पर फैला कर, छूकर ये ता...