तुम्हें क्या कहूँ
तुम्हें क्या कहूँ
तुम्हें हकीक़त कहूँ या ख़्वाब अपना
या मेरे सूने जीवन का राज़ कोई
तुम्हें दिल कहूँ या धड़कन अपनी
मेरे अधूरे से जीवन की तड़पन कोई
तुम्हें गीत कहूँ या गज़ल अपनी
मेरे भरे पूरे से जीवन का संगीत कोई
तुम्हें मोहब्बत कहूँ या दीवानपन अपना
मेरे मुकमिल से इश्क का मधुर
स्वप्न कोई
तुम्हें शब्द सा कहूँ या पूरी किताब अपनी
या मेरी कलम से लिखी नज़म कोई।।