चिड़ियों के चम्बे सी बेटियाँ
चिड़ियों के चम्बे सी बेटियाँ
जो हर दिन बाबुल के घर चहकती थी
उसकी मुस्कान आँगन में खुशबू सी महकती थी
आज महदीं लगे हाथों में सज गया है
चूड़ा बाबुल के साथ रहने का समय
पंख लगा कर उड़ा ये चिडियो का चम्बा,
कहीं नहीं जाएगा, नयी सी उड़ान के साथ
दिलों में घर कर ही जाएगा।
एक घर बाबुल के दिल में बना रखा है
दूजा पिया मिलन का सपना सजा रखा है
जो एक घर को नहीं दो घरों को संजोए रखती है
बेटियाँ ही पग-पग पर संस्कार ही जोड़े रखती है
ऐसे चिड़ियों के चम्बे का उड़ जाना ही अच्छा है
जिसकी उड़ान से सृष्टि में नवनिर्माण जुड़ा हो।