नदी और जीवन
नदी और जीवन
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जीवन नदी सा, नदी जीवन दायिनी
कल-कल करती बहती सबकी प्राण दायिनी है,
जल प्रदायिनी ना मुड़े वापस कभी जीवन से
ना हारिनी हर दिन पथ सँवारिनी।
संघर्ष हो जीवन में तो नदी सा जिए तू जा
खुशी और गमों का तू समान वितरण किए ही जा,
तेरा लक्ष्य नदी सा हो आगे बढ़ता और बढ़ता ही जा
अतीत के घने साए अगर तुझे सताए कभी।
उस नदी को याद कर वह है सुखदायिनी
दुख की गहरी खाई से सुख का मोती तू उपजा
बस आगे और आगे बढ़ता ही चला जा।।