स्वलिखित काव्य दिल से,जिन्दगी में जो भी महसूस किया, देखा,परखा उसे कोशिश की लिखने की।कलम से अपने सारे अनुभवों को कागज़ पर उकेरने की। ❤❤
हर फरियाद बस अब तो उसी से करनी है। हर फरियाद बस अब तो उसी से करनी है।
मेरे अधूरे से जीवन की तड़पन कोई तुम्हें गीत कहूँ या गज़ल अपनी मेरे अधूरे से जीवन की तड़पन कोई तुम्हें गीत कहूँ या गज़ल अपनी
ना जुड़े जो प्रभु चरणों में तो हर साँस शिकायत करती है पर सच्चे सतगुरु के मिलने से प्रभ ना जुड़े जो प्रभु चरणों में तो हर साँस शिकायत करती है पर सच्चे सतगुरु के मिलने ...
खेत जब मेरा फसल से लहलहाया कविता ने भी कागज़ पे रूप अपना पाया। खेत जब मेरा फसल से लहलहाया कविता ने भी कागज़ पे रूप अपना पाया।
जिसकी उड़ान से सृष्टि में नवनिर्माण जुड़ा हो। जिसकी उड़ान से सृष्टि में नवनिर्माण जुड़ा हो।
जीवन नदी सा, नदी जीवन दायिनी कल-कल करती बहती सबकी प्राण दायिनी है, जीवन नदी सा, नदी जीवन दायिनी कल-कल करती बहती सबकी प्राण दायिनी है,
कैलेंडर को मिलते नवजीवन की तरह, अपने जीवन की भी नवीन शुरुआत कर लो। कैलेंडर को मिलते नवजीवन की तरह, अपने जीवन की भी नवीन शुरुआत कर लो।
जीवन रूपी ज्योत को प्रभु की ज्योत से मिलाना है जुड़कर उस प्रभु की कृपा से जीवन सफल बनाना है।। जीवन रूपी ज्योत को प्रभु की ज्योत से मिलाना है जुड़कर उस प्रभु की कृपा से जीव...
उसे सबसे पहले चाहिए जीवित रहने का अधिकार और चाहिए माता-पिता का उसके प्रति प्यार, उसे सबसे पहले चाहिए जीवित रहने का अधिकार और चाहिए माता-पिता का उसके प्रत...