Madhuri Sharma(माधुरीशर्मा'मधुर')
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स्वलिखित काव्य दिल से,जिन्दगी में जो भी महसूस किया, देखा,परखा उसे कोशिश की लिखने की।कलम से अपने सारे अनुभवों को कागज़ पर उकेरने की। ❤❤

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देखते रहे आपको एकटक हम आपको ए साहिब, आप आए भी और चल भी दिए ।। -माधुरी शर्मा 'मधुर'

क्या लिखें दिले बयाँ ए साहिब, ये दिल भी तेरा,दिले बयाँ भी तेरा।। - माधुरी शर्मा 'मधुर'

श्वास-श्वास में प्रभु को ध्यावो, हरि नाम से मुक्ति पावो।। -माधुरी शर्मा 'मधुर'

प्रभु के प्रेम में बँधे,बँधे प्रेम की डोर, प्रेम ही आधार है,जाने का उस ओर।।


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