खुद से मिलकर
खुद से मिलकर
खुद से मिलकर
खुदा से बात करनी है
खुदा से ही आज
मुलाकत करनी है
नाराजगी तो
नहीं कुछ जमाने से
हमारी खुद से कुछ
गिले शिकवे है
शायद खुद से मिलकर ही
हर शिकायत दूर करनी है
खुद में ही तो छिपा है
खुदा का नूर ए साहिब
हर फरियाद बस अब
तो उसी से करनी है।
