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Pranav Kumar

Tragedy Others

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Pranav Kumar

Tragedy Others

तुम्हारे बाद

तुम्हारे बाद

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मैं खुद को खो चुका हूं, तुम्हें खोने के बाद

तुम्हारा ही रहा, तुमसे बिछड़ जाने के बाद,


ये दुनिया-जहाँ, इनकी बेतुकी रस्मों ने कैद कर रखा है हमें

ये सब जाना मैंने तुम्हें अपनी दुनिया बनाने के बाद,


तुम्हें विदा तो मैंने हंसकर किया था

पर रोया बहुत, स्टेशन से बाहर आने के बाद,


तुम्हारे बाद ये जिंदगी अब बोझ सी लगती है

जो जन्नत सी बन गई थी ये तुम्हारे आने के बाद,


उसे कहा की अब पहले से अच्छा लिखते हो 'प्रणव'

उसी पे लिखी गज़लें उसे ही सुनाने के बाद,


वो अब भी मुझे "मेरी जान" कह के बुलाती है,

किसी और की जान बन जाने के बाद।


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