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Abhishu sharma

Drama

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Abhishu sharma

Drama

तुम ....

तुम ....

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तेरी मुस्कान की याद आज भी मेरे दिल की बगिया को

खिजां में भी खिलखिला देती है

तेरा वो गाहेबगाहे गुनगुनाने की सरगम,

इंद्रधनुष के रंगों से नाचती तू छम छम,


तेरी वो मासूम नाजो अदाएं और

कजरारे नयनो के तीखे से इशारों की याद,

अमावस की बेगानी निशा को भी मेरे पूरे घर आँगन में

पूनम के चाँद सी ताजगी के अहसास से महका जाती है

तेरे प्रीत के नशे का जादू मुझ पर कुछ ऐसा चला की,


मदभरी बोतल को मीठी ज़िन्दगी -

गुलाबी कर खुशियों का उपहार दे गया.

तेरी वो मासूम छवि की कांटी से रोशन है

मेरी अंधियारी ज़िन्दगी का दिया आज भी,

अब और क्या कहूं बता,

कविता की सूरत और प्रीत की मूरत का मुखड़ा है तू मेरी।


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