praveen ohdar

Romance Tragedy

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praveen ohdar

Romance Tragedy

तुम याद आते हो

तुम याद आते हो

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मंद मंद

पवन के झोंके

मधुर मधुर

सुगंध लिए

छोड़ते जब

वादियों को

छू देते तब डालियों को

याद तुम आते हो,


कली कली की थिरकन में

डाली डाली की पुलकन में

ढूंढता हूं तुझ को

शायद तुम इनमें समा गए हो,


चांदनी की सरिता में नहा कर

निखर उठी जब बहार चुपके से

चांद का आकर झांकना

पवन के संगीत में जान पड़ता है,


कि तुम

बहार को

निहार कर

कोई गीत गा रहे हो।


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