तुम वसंत मेरे
तुम वसंत मेरे
मेरा हर मौसम है तुमसे तुम हो वसंत मेरे
तुमसे ही रौशन है ज़िंदगी के शाम सवेरे
सावन की आई बेला मिल जाएंगे दो मन
साथ जन्मों का निभाने लिए हैं सात फेरे
बिछड़न कभी न आएं यूँ पतझड़ के जैसे
हर लम्हां मेरा महके ज़िंदगी में होने से तेरे
तपते रेगिस्तान-सी रेत भरी थी गुलशन में
बहार-ए-सौगात लाएँ थामकर यूँ हाथ मेरे
था ख़ामोशी का आलम यूँ मिलने से पहले
दिल में जगा प्यार के दीये मिट गए हैं अंधेरे।