तुम चाय पीने तस्सली से आना
तुम चाय पीने तस्सली से आना
तुम चाय पीने तस्सली से आना...
मैंने वक्त को हाथों से बांध रखा है !!!
तुम खुशियों को मेरी साथ ले आना
मैंने दामन को अपने फैला रखा है
चंद पलों की मोहलत भी साथ अपने लाना
मैंने बातों का पुलिन्दा फैला रखा है
तुम चाहों को उन यादों को साथ ले आना
मैंने गठरी में जिनको बांध रखा है
या चाहो तो सब कुछ यही छोड़ जाना
मैंने तो सब कुछ संभाल रखा है
पर ख़ामोशी को खुद से दूर ही छोड़ आना
मैंने तन्हाईयों से पीछा छुड़ा रखा है
तुम चाय पीने तस्सली से आना.....
मैंने वक्त को हाथों से बांध रखा है !!!