क्या लिखूँ कैसे लिखूँ ....
क्या लिखूँ कैसे लिखूँ ....
क्या लिखूँ कैसे लिखूँ
ये सोचती ही रह गयी !!
गरीबी का दंश
या अमीरों का संसार लिखूँ
दीवाली की जगमगाहट
या अमावस का अंधकार लिखूँ
निस्वार्थ भाव के साथ मैं
किस किस का व्यवहार लिखूँ
क्या लिखूँ कैसे लिखूँ ....
ये सोचती ही रह गयी !!
भोर अजान साँझ को घंटे
क्या इनकी तकरार लिखूँ
या मन का हाहाकार लिखूँ
हर तरफ चल रहे गोरख धंधे
या घोटालों की बयार लिखूँ
या कुशल व्यक्ति की प्रतिभा
पर होने वाले
आघातों पर आघात लिखूँ
या बेशर्मी की मैं बात लिखूँ
क्या लिखूँ कैसे लिखूँ ....
ये सोचती ही रह गयी !!
रामायण की गाथा
या रावण का अ
भिमान लिखूँ
कान्हा की लीलाएं
या राधा का निश्छल प्यार लिखूँ
क्या लिखूँ कैसे लिखूँ ....
ये सोचती ही रह गयी !!
प्रगति गीत ही लिख डालूं
या बिखरा हुआ ये संसार लिखूँ
जनमानस की पीड़ा
या महलों का परिहास लिखूँ
क्या लिखूँ कैसे लिखूँ ....
ये सोचती ही रह गयी !!
नारी पर हुए अत्याचार
या महिला सशक्तिकरण
का सम्मान लिखूँ
कृषिकों का शोषण
या श्रमिकों का गुण गान लिखूँ
क्या लिखूँ कैसे लिखूँ ....
ये सोचती ही रह गयी !!
खुद के सपनों की बात लिखूँ
या सच का मैं इतिहास लिखूँ
क्या लिखूँ कैसे लिखूँ ....
ये सोचती ही रह गयी !!