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Akansha Tiwari

Abstract

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Akansha Tiwari

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यादें

यादें

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यादें अबूझ पहेली है,

हर इंसान की पक्की सहेली है।


बिन बुलाये मेहमान सी आती

सब कुछ उथल-पुथल कर जाती

रंगरेली है ...अलबेली है

जीवन की सच्ची सहेली है।


छोटे पंछी सी मासूम भी है

बहते जल सी निश्छल भी

हर ख़ुशी की निगेहबानी करती,

हर गम की पहरेदारी भी

वक्त बेवक़्त चली आती है

नयनो को खूब भिगाती है।


हर अहसास में साथ निभाती है

हर पल को सहेज ले जाती है

जितना भागो ...जितना भूलो

लौट-लौट ये आती है

तन्हाई में साथ निभाती

भरी भीड़ तन्हा कर जाती


बडी अबूझ पहेली है

पर इंसान की सच्ची सहेली है।


साथी छूटे ...अपने छूटे

पर यादें साथ निभाती है

अनजाने में ख़ुशियाँ दे जाती,

समझ बूझ नयनो को भिगाती।


यूं तो अबूझ पहेली है

पर इंसान की सच्ची सहेली है।


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