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Akansha Tiwari

Romance

3  

Akansha Tiwari

Romance

क्या चाहूँ मैं ?

क्या चाहूँ मैं ?

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कुछ तो है जो कहना चाहूँ मैं

कुछ तो है जो सुनना चाहूँ मैं


जो चल रहा है अंदर उसे कहना चाहती

जो उलझ रहा है अंदर उसे सुनना चाहती


कुछ बिखर रहा है उसे समेटना चाहूँ मैं

कुछ टूट रहा उसे जोड़ना चाहूँ मैं


बिखरे हुए अहसासों को समेटना चाहती

टूटे हुए रिश्तों को जोड़ना चाहती


हर अल्फाज़ को माला में पिरोना चाहूँ मैं

हर अहसास को लम्हो में जीना चाहूँ मैं


अनकहे अल्फाज़ो को पिरोना चाहती

अनछुये अहसासों को जीना चाहती


हर लम्हे को खुद में समेटना चाहूँ मैं

हर उलझन को खुद से सुलझाना चाहूँ मैं


हर एक पल को ख

ुल के जीना चाहूँ मैं

इस वक़्त को खुद में समेटना चाहूँ मैं


हर लम्हे को तुमसे चुराना चाहूँ मैं

हर अहसास को तुमसे छुपाना चाहूँ मैं


हो सके अगर तो आ जाओ एक बार

चंद पलों में इस उलझन को सुलझा

जाओ एक बार


हमको भी जीना सिखा जाओ एक बार

ख़ुशियों का रास्ता दिखा जाओ एक बार


बहुत कुछ है जो तुमसे कहना चाहूँ मैं

बहुत कुछ है जो तुमसे सुनना चाहूँ मैं


फिर भी तुमसे दूर ही अब रहना चाहूँ मैं

ज़ख्मों को अपने अब सीना चाहूँ मैं


हर अहसास को खुद में समेटना चाहूँ मैं

हर लम्हे को खुद में ही जीना चाहूँ मैं ....



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