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Akansha Tiwari

Romance

3  

Akansha Tiwari

Romance

क्या चाहूँ मैं ?

क्या चाहूँ मैं ?

1 min
242


कुछ तो है जो कहना चाहूँ मैं

कुछ तो है जो सुनना चाहूँ मैं


जो चल रहा है अंदर उसे कहना चाहती

जो उलझ रहा है अंदर उसे सुनना चाहती


कुछ बिखर रहा है उसे समेटना चाहूँ मैं

कुछ टूट रहा उसे जोड़ना चाहूँ मैं


बिखरे हुए अहसासों को समेटना चाहती

टूटे हुए रिश्तों को जोड़ना चाहती


हर अल्फाज़ को माला में पिरोना चाहूँ मैं

हर अहसास को लम्हो में जीना चाहूँ मैं


अनकहे अल्फाज़ो को पिरोना चाहती

अनछुये अहसासों को जीना चाहती


हर लम्हे को खुद में समेटना चाहूँ मैं

हर उलझन को खुद से सुलझाना चाहूँ मैं


हर एक पल को खुल के जीना चाहूँ मैं

इस वक़्त को खुद में समेटना चाहूँ मैं


हर लम्हे को तुमसे चुराना चाहूँ मैं

हर अहसास को तुमसे छुपाना चाहूँ मैं


हो सके अगर तो आ जाओ एक बार

चंद पलों में इस उलझन को सुलझा

जाओ एक बार


हमको भी जीना सिखा जाओ एक बार

ख़ुशियों का रास्ता दिखा जाओ एक बार


बहुत कुछ है जो तुमसे कहना चाहूँ मैं

बहुत कुछ है जो तुमसे सुनना चाहूँ मैं


फिर भी तुमसे दूर ही अब रहना चाहूँ मैं

ज़ख्मों को अपने अब सीना चाहूँ मैं


हर अहसास को खुद में समेटना चाहूँ मैं

हर लम्हे को खुद में ही जीना चाहूँ मैं ....



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