काश.... जिन्दगी एक कविता होती
काश.... जिन्दगी एक कविता होती
हर रोज़ पढ़ सकती थी
अपने अप्रतिम भावों से
मंत्रमुग्ध ये करती
दिल जो करे वो कर सकती
हर रूप का आलिंगन करती
और हर ताल के साथ नाचती
खुद को हर पल परिभाषित करती
हर क्षण को आनंद से भरती
काश.... जिन्दगी एक कविता होती
हर रोज़ नयी विधा में लिखती
संवेदनाओं को स्थान भी देती
हर मनोभाव को ध्यान में रखती
जिंदगी की हर विधा को संवारती
हर मनोभाव को भरपूर निखारती
काश.... जिन्दगी एक कविता होती
एक खूबसूरत कविता मेरी !!
मैं पढ़ सकती और हमेशा हर
भाव को समझ सकती
सुलझा सकती
खुद को सुरक्षित रखती
अपने हाथों में
अपनी पसंदीदा डायरी की तरह
जिससे कोई समय न बचे
कोई भाव न छूटे !
हे जीवन.... काश तुम एक कविता होते
एक कविता मैं स्वयं कह सकती जिसे !!